NOT KNOWN FACTS ABOUT HANUMAN CHALISA

Not known Facts About hanuman chalisa

Not known Facts About hanuman chalisa

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श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मन मुकुर सुधारि।

भावार्थ – हे पवनकुमार! मैं अपने को शरीर और बुद्धि से हीन जानकर आपका स्मरण (ध्यान) कर रहा हूँ। आप मुझे बल, बुद्धि और विद्या प्रदान करके मेरे समस्त कष्टों और दोषों को दूर करने की कृपा कीजिये।

जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥१९॥ दुर्गम काज जगत के जेते ।

Putting the ring of Rama within your mouth, you jumped and flew about Ocean to Lanka; there isn't a shock in that.

समझनी है जिंदगी तो पीछे देखो, जीनी है जिंदगी तो आगे देखो…।

In the end, Rama disclosed his divine powers given that the incarnation of your God Vishnu, and slew Ravana and the remainder of the demon army. Finally, Rama returned to his dwelling of Ayodhya to return to his spot as king. Right after blessing all those that aided him during the fight with items, Rama gave Hanuman his present, which Hanuman threw absent.

sugamaSugamaEasy anugrahaAnugrahaGrace tumhareTumhareYour teteTeteThat That means: Just about every difficult task on the earth gets easy by your grace.

व्याख्या — श्री हनुमान जी का नाम लेनेमात्र से भूत–पिशाच भाग जाते हैं तथा भूत–प्रेत आदि की बाधा मनुष्य के पास भी नहीं आ सकती। श्री हनुमान जी का नाम लेते ही सारे भय दूर हो जाते हैं।

గమనిక: శరన్నవరాత్రుల సందర్భంగా "శ్రీ లలితా స్తోత్రనిధి"

A while just after this event, Hanuman commences using his supernatural powers on innocent bystanders as easy pranks, until finally sooner or later he pranks a meditating sage.

बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ॥

Hanuman Chaleesa is a devotional tune committed to Lord Hanuman. It is recited to receive clear and targeted brain with brimming with Strength and focus.

भावार्थ — हे हनुमान जी ! आपके पास कोई किसी प्रकार का भी मनोरथ [ धन, पुत्र, यश आदि की कामना] लेकर आता है, (उसकी) वह कामना पूरी होती है। इसके साथ ही ‘अमित जीवन फल’ अर्थात् भक्ति भी उसे प्राप्त होती है।

व्याख्या – श्री हनुमान जी महाराज की शरण लेने पर click here सभी प्रकार के दैहिक, दैविक, भौतिक भय समाप्त हो जाते हैं तथा तीनों प्रकार के आधिदैविक, आधिभौतिक एवं आध्यात्मिक सुख सुलभ हो जाते हैं।

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